जखन लेल हरि कंचुअ अछोहि !
कत परि जुगुति कयलि अंग मोहि !१!
तखनुक कहिनी कहल न जाय !
लाजे सुमुखि धनि रसलि लजाय !२!
कर न मिझाय दूर दीप !
लाजे न मरय नारि कठजीव !३!
अंकम कठिन सहय के पार !
कोमल हृदय उखडि गेल हार !४!
भनह विद्यापति तखनुक झन !
कओन कहय सखि होयत बिहान !५!
कत परि जुगुति कयलि अंग मोहि !१!
तखनुक कहिनी कहल न जाय !
लाजे सुमुखि धनि रसलि लजाय !२!
कर न मिझाय दूर दीप !
लाजे न मरय नारि कठजीव !३!
अंकम कठिन सहय के पार !
कोमल हृदय उखडि गेल हार !४!
भनह विद्यापति तखनुक झन !
कओन कहय सखि होयत बिहान !५!
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