।। Jai Babaji ।। बनगाँव ऑनलाइन पर अपनेक स्वागत अछि ।। Welcome to Bangaon Online ।। बनगाँव ऑनलाइन पर आपका स्वागत हैं ।। Jai Babaji ।।

शनिवार, 31 मई 2014

विद्यापति गीत - आजु दोखिअ सखि बड़ अनमन सन

आजु दोखिअ सखि बड़ अनमन सन, बदन मलिन भेल तारो !
मन्द वचन तोहि कओन कहल अछि, से न कहिअ किअ मारो !१!

आजुक रयनि सखि कठि बितल अछि, कान्ह रभस कर मंदा !
गुण अवगुण पहु एकओ न बुझलनि, राहु गरासल चंदा !२!

अधर सुखायल केस असझासल, धामे तिलक बहि गेला !
बारि विलासिनि केलि न जानथि, भाल अकण उड़ि गेला !३!

भनइ विद्यापति सुनु बर यौवति, ताहि कहब किअ बाधे !
जे किछु पहुँ देल आंचर बान्हि लेल, सखि सभ कर उपहासे !४!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें