आसक लता लगाओल सजनी, नयनक नीर पटाय !
से फल आब परिनत भेल मजनी, आँचर तर न समाय !१!
कांच सांच पहु देखि गेल सजनी, तसु मन भेल कुह भान !
दिन-दिन फल परिनत भेल सजनी, अहुनख कर न गेआन !२!
सबहक पहु परदेस बसु सजनी, आयल सुमिरि सिनेह !
हमर एहन पति निरदय सजनी, नहि मन बाढय नहे !३!
भनइ विद्यापति गाओल सजनी, उचित आओत गुन साइ !
उठि बधाव करु मन भरि सजनी, अब आओत घर नाह !४!
से फल आब परिनत भेल मजनी, आँचर तर न समाय !१!
कांच सांच पहु देखि गेल सजनी, तसु मन भेल कुह भान !
दिन-दिन फल परिनत भेल सजनी, अहुनख कर न गेआन !२!
सबहक पहु परदेस बसु सजनी, आयल सुमिरि सिनेह !
हमर एहन पति निरदय सजनी, नहि मन बाढय नहे !३!
भनइ विद्यापति गाओल सजनी, उचित आओत गुन साइ !
उठि बधाव करु मन भरि सजनी, अब आओत घर नाह !४!
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