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शनिवार, 31 मई 2014

विद्यापति गीत - आहे सखि आहे सखि लय जनि जाह

आहे सखि आहे सखि लय जनि जाह !
हम अति बालिक आकुल नाह !१!

गोट-गोट सखि सब गेलि बहराय !
ब केबाड पहु देलन्हि लगाय !२!

ताहि अवसर कर धयलनि कंत !
चीर सम्हारइत जिब भेल अंत !३!

नहि नहि करिअ नयन ढर नीर !
कांच कमल भमरा झिकझोर !४!

जइसे डगमग नलिनिक नीर !
तइसे डगमग धनिक सरीर !५!

भन विद्यापति सुनु कविराज !
आगि जारि पुनि आमिक लाज !६!

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