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बुधवार, 2 जुलाई 2014

मुदित भये नृप सुनि मुनि वाणी (गीतावली - भजन १३)

"विश्वामित्र द्वारा राम लक्ष्मण की याचना" 

मुदित भये नृप सुनि मुनि वाणी ॥ध्रुव॥

लिन्ह बुलाई राम लछुमन कहँ,
सुंधेउ सीस नयन भरी पानी ॥१॥

बोले तात! प्रणाम करहुँ युग,
ये कौशिक मुनि जप तप खानी ॥२॥ 

इनके संग जाय मख रच्छहुँ,
देहु दण्ड जेते खल प्राणी ॥३॥ 

लक्ष्मीपति, सुनी आयसु रघुवर,
चलेउ सहर्ष सरासन तानी ॥४॥

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