सर्प का विष तीन प्रकार से उतारा जाता है - (1) मन्त्र से (2) औषधि से (3) योग बल से।
बनगाँव के श्री कारी खाँ ने स्वामी जी को दूध पीने के लिए एक गाय दी थी। नित्य प्रति इस गाय का दूध बाबा जी को भेज दिया करते थे। एक दिन दूध नहीं पहुँचा। बाबा जी ने निशिचत समय का अतिक्रमण देख प्राप्त वस्तुओं से अपनी बुभुक्षा मिटा ली। गौ को सर्प ने काट लिया था। उपचार किया गया किन्तु विफल रहा। अन्ततोगत्वा गाय मर गर्इ। श्री कारी खाँ ने आकर बाबाजी से सारा वृतान्त कह सुनाया। बाबाजी ने चौंक कर कहा- ''क्या गाय, सर्प के काटने से मर गर्इ? श्री कारी खाँ ने कहा- हाँ। बाबा जी ने उदास होकर पूछा- ''क्या चमार उठा कर ले गया।" श्री कारी खाँ ने कहा ''निश्चित कहा नहीं जा सकता।" बाबा जी ने कहा- ''शीर्घता से जाओ और गाय को ले जाने से रोको। मैं अतिशीघ्र आता हूँ।" बाबा जी पाँव में खड़ाँऊ और हाथ में लाठी लेकर पहुँच गये। कुछ काल खड़े देखते रहे और बाद में अपनी छड़ी से उठाने का उपक्रम किये। छड़ी के स्पर्श ही से गौ उठ गर्इ।
उपस्थित लोग बाबा जी की अद्भुत शक्ति देखकर चकित रह गये। बाबा जी ने कारी खाँ से कहा- ''कुछ देर तक खाने नहीं देना। पहले दूध को स्तन से निचोर कर फेंक देना, कोर्इ पीने न पावेंं सब ठीक हो जायेगा। यह कह कर बाबा जी कुटी पर चले गये।
बनगाँव के श्री कारी खाँ ने स्वामी जी को दूध पीने के लिए एक गाय दी थी। नित्य प्रति इस गाय का दूध बाबा जी को भेज दिया करते थे। एक दिन दूध नहीं पहुँचा। बाबा जी ने निशिचत समय का अतिक्रमण देख प्राप्त वस्तुओं से अपनी बुभुक्षा मिटा ली। गौ को सर्प ने काट लिया था। उपचार किया गया किन्तु विफल रहा। अन्ततोगत्वा गाय मर गर्इ। श्री कारी खाँ ने आकर बाबाजी से सारा वृतान्त कह सुनाया। बाबाजी ने चौंक कर कहा- ''क्या गाय, सर्प के काटने से मर गर्इ? श्री कारी खाँ ने कहा- हाँ। बाबा जी ने उदास होकर पूछा- ''क्या चमार उठा कर ले गया।" श्री कारी खाँ ने कहा ''निश्चित कहा नहीं जा सकता।" बाबा जी ने कहा- ''शीर्घता से जाओ और गाय को ले जाने से रोको। मैं अतिशीघ्र आता हूँ।" बाबा जी पाँव में खड़ाँऊ और हाथ में लाठी लेकर पहुँच गये। कुछ काल खड़े देखते रहे और बाद में अपनी छड़ी से उठाने का उपक्रम किये। छड़ी के स्पर्श ही से गौ उठ गर्इ।
उपस्थित लोग बाबा जी की अद्भुत शक्ति देखकर चकित रह गये। बाबा जी ने कारी खाँ से कहा- ''कुछ देर तक खाने नहीं देना। पहले दूध को स्तन से निचोर कर फेंक देना, कोर्इ पीने न पावेंं सब ठीक हो जायेगा। यह कह कर बाबा जी कुटी पर चले गये।
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