कान्ह हेरल छल मन बड़ साध !
कान्ह हेरइत भेलएत परमाद !१!
तबधरि अबुधि सुगुधि हो नारि !
कि कहि कि सुनि किछु बुझय न पारि !२!
साओन घन सभ झर दु नयान !
अविरल धक-धक करय परान !३!
की लागि सजनी दरसन भेल !
रभसें अपन जिब पर हाथ देल !४!
न जानिअ किए करु मोहन चारे !
हेरइत जिब हरि लय गेल मारे !५!
एत सब आदर गेल दरसाय !
जत बिसरिअ तत बिसरि न जाय !६!
विद्यापति कह सुनु बर नारि !
धैरज धरु चित मिलब मुरारि !७!
कान्ह हेरइत भेलएत परमाद !१!
तबधरि अबुधि सुगुधि हो नारि !
कि कहि कि सुनि किछु बुझय न पारि !२!
साओन घन सभ झर दु नयान !
अविरल धक-धक करय परान !३!
की लागि सजनी दरसन भेल !
रभसें अपन जिब पर हाथ देल !४!
न जानिअ किए करु मोहन चारे !
हेरइत जिब हरि लय गेल मारे !५!
एत सब आदर गेल दरसाय !
जत बिसरिअ तत बिसरि न जाय !६!
विद्यापति कह सुनु बर नारि !
धैरज धरु चित मिलब मुरारि !७!
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