कंटक माझ कुसुम परगास !
भमर बिकल नहि पाबय पास !१!
भमरा भेल कुरय सब ठाम !
तोहि बिनु मालति नहिं बिसराम !२!
रसमति मालति पुनु पुनु देखि !
पिबय चाह मधु जीव उपेंखि !३!
ओ मधुजीवि तोहें मधुरासि !
सांधि धरसि मधु मने न लजासि !४!
अपने मने धनि बुझ अबगाही !
तोहर दूषन बध लागत काहि !५!
भनहि विद्यापति तओं पए जीव !
अधर सुधारस जओं परपीब !६!
भमर बिकल नहि पाबय पास !१!
भमरा भेल कुरय सब ठाम !
तोहि बिनु मालति नहिं बिसराम !२!
रसमति मालति पुनु पुनु देखि !
पिबय चाह मधु जीव उपेंखि !३!
ओ मधुजीवि तोहें मधुरासि !
सांधि धरसि मधु मने न लजासि !४!
अपने मने धनि बुझ अबगाही !
तोहर दूषन बध लागत काहि !५!
भनहि विद्यापति तओं पए जीव !
अधर सुधारस जओं परपीब !६!
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