- जय जय भैरवि असुर-भयाउनि
- हम नहिं गौरी शिवके बिआहब
- हम नहिं आजु रहब एहि आँगन
- हम जुवती, पति गेलाह बिदेस
- सैसव जौवन दुहु मिलि गेल
- सासु जरातुरि भेली
- सरसिज बिनु सर सर बिनु सरसिज
- सजनी कान्ह कें कहब बुझाइ
- लोचन धाय फोघायल हरि नहिं आयल रे
- मानिनि आब उचित नहि मान
- माधव ई नहि उचित विचार
- बड़ सुखसार पाओल तुअ तीरे
- गौरा तोर अंगना
- नव यौवन अभिरामा
- धुर धुर छिया रे छिया
- देखु सखी दाइ माइ ठकलक बभना
- जौवन रतन अछल दिन चारि
- जोगिया मोर जगत सुखदायक
- जाइत देखलि पथ नागरि सजनि गे
- जगत विदित बैद्यनाथ
- जखन लेल हरि कंचुअ अछोहि
- चानन भेल विषम सर रे
- चन्दा जनि उग आजुक राति
- गौरी के वर देखि बड़ दुःख भेल
- के पतिआ लय जायत रे
- कुच-जुग अंकुर उतपत् भेल
- कुंज भवन सएँ निकसलि रे
- कि कहब हे सखि रातुक बात
- कान्ह हेरल छल मन बड़ साध
- कंटक माझ कुसुम परगास
- उचित बसए मोर मनमथ चोर
- आहे सखि आहे सखि लय जनि जाह
- आसक लता लगाओल सजनी
- आजु दोखिअ सखि बड़ अनमन सन
- अम्बर बदन झपाबह गोरि
- अभिनव पल्लव बइसंक देल
- अभिनव कोमल सुन्दर पात
बुधवार, 28 मई 2014
Maha Kavi Vidyapati Geet - महाकवि विद्यापति गीत
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