"बाल - विनोद"
कौशल्या जी खेलावे राम खेले अँगना ।।ध्रुव।।
कर पद लोचन कमल मद मोचन, सरसिज रुचि बदना।।अंतरा।।
मखमल की टोपी सिर राजति केहरि के नखना ।
परस श्याम तन पीत झिंगुलिया, झलकत उर गहना ।।१।।
मोर कबूतर हँस चकेवा, सोने के सुगना ।
हाथी घोडा ऊँट बैल रथ, और बने खेलना ।।२।।
सोने के सेज सोने के मचिया, सोने बने पलना ।
नाचत गावत हँसत हँसावत, दशरथ के ललना ।।३।।
भरत श्त्रुघन लछुमन आये, भूपति के सदना ।
"लक्ष्मीपति" तिहुलोक अनन्दित, लखि लज्जित मदना ।।४।।
कौशल्या जी खेलावे राम खेले अँगना ।।ध्रुव।।
कर पद लोचन कमल मद मोचन, सरसिज रुचि बदना।।अंतरा।।
मखमल की टोपी सिर राजति केहरि के नखना ।
परस श्याम तन पीत झिंगुलिया, झलकत उर गहना ।।१।।
मोर कबूतर हँस चकेवा, सोने के सुगना ।
हाथी घोडा ऊँट बैल रथ, और बने खेलना ।।२।।
सोने के सेज सोने के मचिया, सोने बने पलना ।
नाचत गावत हँसत हँसावत, दशरथ के ललना ।।३।।
भरत श्त्रुघन लछुमन आये, भूपति के सदना ।
"लक्ष्मीपति" तिहुलोक अनन्दित, लखि लज्जित मदना ।।४।।
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