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बुधवार, 11 जून 2014

कौशल्या जी खेलावे राम (गीतावली - भजन ६)

"बाल - विनोद"

कौशल्या जी खेलावे राम खेले अँगना  ।।ध्रुव।।
कर पद लोचन कमल मद मोचन, सरसिज रुचि बदना।।अंतरा।।

मखमल की टोपी सिर राजति केहरि के नखना ।
परस श्याम तन पीत झिंगुलिया, झलकत उर गहना ।।१।।

मोर कबूतर हँस चकेवा, सोने के सुगना ।
हाथी घोडा ऊँट बैल रथ, और बने खेलना ।।२।।

सोने के सेज सोने के मचिया, सोने बने पलना ।
नाचत गावत हँसत हँसावत, दशरथ के ललना ।।३।।

भरत श्त्रुघन लछुमन आये, भूपति के सदना ।
"लक्ष्मीपति" तिहुलोक अनन्दित, लखि लज्जित मदना ।।४।।

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