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गुरुवार, 29 मई 2014

विद्यापति गीत - मानिनि आब उचित नहि मान

मानिनि आब उचित नहि मान !
एखनुक रंग एहन सन लागय जागल पए पंचबान !१!

जूडि रयनि चकमक करन चांदनि एहन समय नहि आन !
एहि अवसर पिय मिलन जेहन सुख जकाहि होय से जान !२!

रभसि रभसि अलि बिलसि बिलसि कलि करय मधु पान !
अपन-अपन पहु सबहु जेमाओल भूखल तुऊ जजमान !३!

त्रिबलि तरंग सितासित संगम उरज सम्भु निरमान !
आरति पति मंगइछ परति ग्रह करु धनि सरबस दान !४!

दीप-बाति सम भिर न रहम मन दिढ करु अपन गेयान !
संचित मदन बेदन अति दारुन विद्यापति कवि भान !५!

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